gaune se pahle rajasthani ne tok dala chut ko lund se


अब तक मैं आपको बता चुका हूँ कि सेक्स का ज्ञान मुझे नीरू से मिला।
कुछ दिनों तक तो मैंने और नीरू ने अकेले होने का पूरा पूरा लाभ लिया और जमकर एक दूसरे की चुदाई की। मेरी जगह यदि आप होते तो आप भी यही करते क्योंकि मुझ जैसा गाँव का लड़का जब इतना कर पाया तो आपकी बात ही और है। नीरू की वजह से ही आज मैं बाप बन पाया हूं क्योंकि मेरी बुद्धि उस समय तो ऐसी थी कि मैं सोचता था सिर्फ चिपकने से ही लड़की गर्भवती हो जाती है।
पर नीरू ने मुझे सिखाया कि चिपकने से नहीं बल्कि जमकर चोदने से बच्चा पैदा होता है।
हमारी यह लीला बीस दिनों तक दिन रात चलती रही और फिर एक सुबह रामू काका वापस आ गए। मेरे मन में नई शंका ने जन्म लिया कि अब मैं नीरू को नहीं चोद पाउँगा तो मेरे दिन कैसे बीतेंगे।
काकी वापस नहीं आई थी वो गाँव में ही रुक गई थी और कुछ दिनों बाद आनेवाली थी।
रामू काका ने सामने से मुझे कहा कि सुबह और शाम मैं नीरू को खाना बनाने में मदद किया करूँ।
मुझे तो जैसे मनचाही मुराद मिल गई और मैं नीरू को चोदते-चोदते खाना बनाने लगा। कुछ ही दिनों में मेरे बॉस की शादी होने वाली थी। उनकी उम्र 28 साल थी उन्होंने भी मुझसे पहले ही कह दिया की सपना (मेरे बॉस की होने वाली बीवी) शहर में नई आ रही है और तुम्हें घर के सभी कामों में उसका हाथ बंटाना पड़ेगा क्योंकि शायद वो भी समझ गए थे कि मैं गाँव का लड़का हूं और चोदने में रूचि नहीं रखता हूँ। पर आप तो जानते ही हैं की नीरू की वजह से मैं पूरा चुदक्कड़ बन चुका था।
मैंने सहर्ष अपने बॉस का आदेश स्वीकार कर लिया और कहा- आप बेफिक्र हो जाएँ, मैं मेमसाब का पूरा ध्यान रखूँगा।
शादी हो गई ..सपना जी भी घर आ गईं। दो-चार दिन में ही बॉस को कलकत्ता जाना पड़ा, वो मेरे भरोसे अपनी चूत छोड़कर चले गए।
मेरी तो दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की हो गई। दिन में दो बार नीरू को चोदना पड़ता था और रात में जाकर सपनाजी की चूत को चाटना पड़ता था।
हुआ यूँ कि बॉस ने जाते समय ही सपना से कह दिया था कि यह लड़का तुम्हारा और घर का पूरा ध्यान रखेगा। फिर क्या बात थी मेमसाब ने हुकुम चलाना शुरू कर दिया- राजू आज से रात को तुम्हें यहीं पर रहना पड़ेगा।
मैंने कहा- ठीक है जैसी आपकी आज्ञा !
शाम को नीरू को चोदकर मैं बॉस के घर आ गया और नई नवेली सपना को निहारने लगा, शायद वो भी मुझे बुद्धू ही समझती थी, वो मस्त घुटनों तक का जालीदार कुरता पहने हुए थी जिसमें से उसके मोटे मोटे चूचे बाहर कूदना चाहते हों, कूल्हे भी गजब ढा रहे थे, कमर के नीचे का भाग ऊपर उठा था जिसे देखकर ही मेरा लंड पैंट फाड़कर बाहर आ जाना चाहता था पर मैं भी अब नीरू की वजह से खिलाड़ी बन गया था, मैंने अपने आपको संभाले रखा और सपना जी के इशारे की राह देखने लगा।
सपना ने मुझसे अपना सूटकेस लाने को कहा, मैं दोड़ते हुए ले आया, उन्होंने सूटकेस खोलकर एक विडियो केसेट बाहर निकला और वीसीआर मैं डालकर चालू करते हुए मुझसे किचन में से तेल की शीशी लाने को कहा।
मैं रसोई से तेल की शीशी ले आया और टीवी की ओर पीठ करके खड़ा हो गया। उन्होंने मुझसे अपने पैर दर्द की शिकायत बताकर पैर की मालिश करने को कहा और मैं आज्ञाकारी नौकर की तरह पैर की मालिश करने में जुट गया। टीवी की ओर अब भी मेरी पीठ थी और सपनाजी टीवी देखकर फ़ूल रही थी। मैंने धीरे धीरे अपने हाथों का कमाल शुरू किया और घुटनों तक मस्त मालिश करने लगा।
मैंने सपना से कहा- मेमसाब यहाँ मेरे और आपके सिवाय तो कोई नहीं है यदि आप मैक्सी निकाल देंगी तो तेल से यह ख़राब नहीं होगी। नहीं तो इसमें दाग लग जायेगा।
और उन्होंने मेरी बात मान ली झट से उठ कड़ी हुईं और मैक्सी उतारकर एक ओर फेंक दी। उनके ऐसे रूप को देखकर मैं पागल सा हो उठा, जालीदार ब्रा और जालीदार पैंटी ! मन तो हुआ वहीं पर गिराकर चढ़ बैठूं ! पर उनके इशारे का इंतजार करना था सो उनके सोफे पर बैठते ही मैं फिर तेल लेकर शुरू हो गया और अब मेरे हाथ उनकी कोमल जांघों तक पहुँचने लगे।
सपना की ओर से किसी प्रकार का कोई विरोध न होता देख मैं भी मस्ती से तेल की शीशी खाली कर रहा था।
तभी उन्होंने मुझसे कहा कि वो लेटकर मालिश करवाना चाहती हैं।
तुरंत ही मैंने एक गद्दा नीचे लाकर लगा दिया ओर उसी समय पहली बार मेरी नजर टीवी पर गई और मैं एकटक देखता ही रह गया- एक युवक युवती की बुर को बड़े ही प्यार से सहला सहला कर चाट रहा था उसकी छातियों को सहला रहा था और दोनों ही पूरे नंगे थे। इससे पहले मैंने कभी भी ब्लूफिल्म नहीं देखी थी और ना ही नीरू ने मुझे इस बारे में कुछ बताया था।
मैंने सपनाजी से पूछना शुरू किया- क्या ये हकीकत में ऐसा कर रहे हैं?
वो थोड़ी देर के लिए तो सकपका गई पर थी तो मालकिन फिर अपना हुकुम चलाने लगी और कहने लगी कि मुझे भी वैसा ही करना होगा।
मैं तो सिर्फ राह देख रहा था कि मुझे करने का हुकुम दें !
तपाक से मैं सपना की पैंटी पर टूट पड़ा और उनके बदन से पैंटी को फाड़कर अलग कर दिया।
क्या कमाल की चूत थी- वाह ! कितनी चिकनी चूत कि मैं लिख नहीं सकता।
और फिर क्या था, मैं और सपना 69 की अवस्था में एक दूसरे से लिपट गए, टीवी अलग चल रहा था और हम अलग से चल रहे थे, बिना टीवी देखे ही मैं चूत को चाटे जा रहा था, क्या बताऊँ कि क्या स्वाद आ रहा था उस गीली और चिकनी चूत का !
सपना मेरे लंड को चूस कर मुझे और दीवाना बना रही थी। उस समय मैं अपने बॉस को बिल्कुल भूल गया था। उस पूरी रात हमने एक दूसरे को चोदा नहीं, सिर्फ मुखमैथुन ही करते रहे और एक दूसरे का वीर्य पीते रहे।
तो बोलो हो गई न दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की?